PM Narendra Modi ने फैसला लिया की भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी का हिस्सा नहीं बनेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत की चिंताओं पर स्थिति साफ नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RCEP संगठन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया। RCEP के बैठक में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की भारत रीजनल इंटीग्रेशन और फ्री व्यापार का समर्थक है, और इस दिशा में हमेसा ही सार्थक पहल की है।
Govt Sources: In his speech at RCEP summit,PM Modi said ‘India stands for greater regional integration as well as for freer trade&adherence to rule-based international order. India has been pro-actively,constructively&meaningfully engaged in the RCEP negotiations since inception’ pic.twitter.com/QCV7scSSjy
— ANI (@ANI) November 4, 2019
पीएम मोदी ने कहा, जब हम RCEP के सात सालों को देखते हैं तो ग्लोबल इकनोमिक, व्यापार सहित बहुत कुछ बदल गया है, जिसे नजरअंदाज करना संभव नहीं। वर्तमान RCEP उस मूल भावना को नहीं दर्शाता ज्सिके साथ इसकी शुरुआत की गई है।
Govt Sources: In his speech PM Modi said ‘today, when we look around we see during 7 years of RCEP negotiations many things including global economic&trade scenarios have changed.We can’t overlook these changes.Present RCEP Agreement doesnt fully reflect basic spirit of RCEP’ https://t.co/l9raTSpaq2 pic.twitter.com/f9NXaKJaFM
— ANI (@ANI) November 4, 2019
भारत अब भावनात्मक फैसले नहीं करता। ANI के सूत्रों के मुताबिक ये फैसला नए भारत के व्यावहारिक स्टैंड को दर्शाता है, की भारत के हितों से समझौता नहीं होगा। गरीबों की चिंता, व्यापार और सेवा क्षेत्र की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इनकी रक्षा के लिए आरसीईपी के नतीजे स्प्ष्ट नहीं हैं, इसलिए भी भारत ने इसमें शामिल होने से खुद को दूर कर लिया।
Govt Sources: India’s stand is a mixture of pragmatism,the urge to safeguard interests of poor and effort to give an advantage to India’s service sector. While not shying away from opening up to global competition across sectors.(file pic). #RCEP pic.twitter.com/ZiTg293f0c
— ANI (@ANI) November 4, 2019
ANI ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया की – वो दिन अब चला गया, जब भारत के रणनीतिकार विश्व शक्ति के दवाब में कैद होकर व्यापार से जुड़े फैसले करते थे। इस बार भारत ने आगे बढ़कर व्यापारिक घाटा, सेवा और निवेश से संबंधित भारत की चिंताओं और मुद्दों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया है।
Govt Sources: Gone are days when Indian negotiators caved in to pressures from global powers on trade issues. This time,India played on front foot, stressing on need to address India’s concerns over trade deficits&need for countries to open markets to Indian services&investments https://t.co/DQyH2ZAB6F pic.twitter.com/uiijnrYgQm
— ANI (@ANI) November 4, 2019
भारत के इस फैसले पर वियतनाम के राजदूत ने कहा – हम RCEP के मुद्दे पर भारत की चिंताओं को समझते हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं की हम एक साथ बैठकर इन चिंताओं को दूर कर आगे बढ़ने का रास्ता निकालने में सफल होंगे।
Pham Sanh Chau, Ambassador of Vietnam to India: We understand the concerns raised by India in terms of RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) but we hope all the concerned parties will be able to sit down & address the differences in a satisfactory way. pic.twitter.com/radds154CU
— ANI (@ANI) November 4, 2019
पीएम मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लिए गए इस शख्त फैसले ने शायद उन अफवाह फ़ैलाने के दुकानों पर भी ताला लगा दिया है, जो नित्य नए मुद्दे खोजकर अफवाह का बाजार सजा कर बैठ जाते हैं। RCEP पर भी जिस तरह से दो तीन दिनों से अफवाहों को बेचा गया वो अत्यंत निंदनीय है।
गरीबों, छोटे किसानों और व्यापारियों के बिच में तरह तरह के अफवाह फैलाया गया की मोदी ने RCEP में शामिल होने का फैसला लिया है। इससे भारत के किसान, व्यापारी, सेवा क्षेत्र के लोग तबाह हो जाएंगे! इसके खिलाफ आंदोलन और प्रदर्शन के लिए भी लोगों को उकसाते पाए गए कुछ लोग। कहने का मतलब है की जो बच्चा पैदा भी नहीं हुआ उसके खिलाफ लड़ने के लिए उकसाने, हथियारों में धार देने और तलवार भांजने का दो दिवसीय दौर खूब चला।
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