पीएम मोदी का फैसला, RCEP का हिस्सा नहीं होगा भारत

छायाचित्र सौजन्य : बिज़नेस टुडे!

PM Narendra Modi ने फैसला लिया की भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी का हिस्सा नहीं बनेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत की चिंताओं पर स्थिति साफ नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RCEP संगठन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया। RCEP के बैठक में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की भारत रीजनल इंटीग्रेशन और फ्री व्यापार का समर्थक है, और इस दिशा में हमेसा ही सार्थक पहल की है।

 

 

पीएम मोदी ने कहा, जब हम RCEP के सात सालों को देखते हैं तो ग्लोबल इकनोमिक, व्यापार सहित बहुत कुछ बदल गया है, जिसे नजरअंदाज करना संभव नहीं। वर्तमान RCEP उस मूल भावना को नहीं दर्शाता ज्सिके साथ इसकी शुरुआत की गई है।

 

 

भारत अब भावनात्मक फैसले नहीं करता। ANI के सूत्रों के मुताबिक ये फैसला नए भारत के व्यावहारिक स्टैंड को दर्शाता है, की भारत के हितों से समझौता नहीं होगा। गरीबों की चिंता, व्यापार और सेवा क्षेत्र की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इनकी रक्षा के लिए आरसीईपी के नतीजे स्प्ष्ट नहीं हैं, इसलिए भी भारत ने इसमें शामिल होने से खुद को दूर कर लिया।

 

 

ANI ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया की – वो दिन अब चला गया, जब भारत के रणनीतिकार विश्व शक्ति के दवाब में कैद होकर व्यापार से जुड़े फैसले करते थे। इस बार भारत ने आगे बढ़कर व्यापारिक घाटा, सेवा और निवेश से संबंधित भारत की चिंताओं और मुद्दों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया है।

 

 

भारत के इस फैसले पर वियतनाम के राजदूत ने कहा – हम RCEP के मुद्दे पर भारत की चिंताओं को समझते हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं की हम एक साथ बैठकर इन चिंताओं को दूर कर आगे बढ़ने का रास्ता निकालने में सफल होंगे।

 

 

पीएम मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लिए गए इस शख्त फैसले ने शायद उन अफवाह फ़ैलाने के दुकानों पर भी ताला लगा दिया है, जो नित्य नए मुद्दे खोजकर अफवाह का बाजार सजा कर बैठ जाते हैं। RCEP पर भी जिस तरह से दो तीन दिनों से अफवाहों को बेचा गया वो अत्यंत निंदनीय है।

 

गरीबों, छोटे किसानों और व्यापारियों के बिच में तरह तरह के अफवाह फैलाया गया की मोदी ने RCEP में शामिल होने का फैसला लिया है। इससे भारत के किसान, व्यापारी, सेवा क्षेत्र के लोग तबाह हो जाएंगे! इसके खिलाफ आंदोलन और प्रदर्शन के लिए भी लोगों को उकसाते पाए गए कुछ लोग। कहने का मतलब है की जो बच्चा पैदा भी नहीं हुआ उसके खिलाफ लड़ने के लिए उकसाने, हथियारों में धार देने और तलवार भांजने का दो दिवसीय दौर खूब चला।

 

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