Pawapuri : पावापुरी सिर्फ एक प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक तीर्थ स्थल

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पावापुरी, भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले जिले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक शहर है। यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। संपूर्ण शहर कैमूर की पहाड़ी पर बसा हुआ है। इस लेख मे हम पावापुरी का इतिहास, पावापुरी जैन तीर्थ हिस्ट्री, पावापुरी के प्रमुख जैन मंदिर आदि के बारें में विस्तार से जानेंगे।

 

माना जाता है की जिस स्थान पर भगवान् महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था उस पवित्र स्थान की भस्म व मिट्टी को उठाते-उठाते वहां एक विशाल सरोवर का निर्माण हो गया जिसमे कमल के फूल खिलने लगे इसी वजह से इस सरोवर को कमल सरोवर के नाम से जाना जाता है। आज के समय में इस सरोवर की लम्बाई 1451 फिट व चौड़ाई 1223 फिट है। कहा जाता है की यहाँ एक मंदिर का निर्माण राजा नंदिवर्धन के द्वारा कराया गया जिसमे भगवान् महावीर की चरण पादुका की स्थापना की गई जो इस कमल सरोवर के मध्य स्थित है। इस मंदिर के दायीं तरफ गौतम के गणधर तथा बायीं तरफ सुधर्मा के गणधर के चरण स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन निर्वाण लड्डू चढ़ाने की परंपरा है इसी दिन भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था।

 

दीपावली पर भारत के कोने कोने से जैन धर्म के मानने वाले लोग पावापुरी की यात्रा करते है। क्योंकि दीपावली का त्यौहार यहां महावीर स्वामी के परिनिर्वाण की याद में मनाया जाता है। हर साल दीपावली के मौके पर भगवान महावीर की विशेष पूजा की जाती है। इसमें भाग लेने के लिए कई देशों के श्वेताम्बर व दिगंबर जैन श्रद्धालु आते हैं। कार्तिक अमावस्या की मध्य रात्रि में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल दीपोत्सव पर यहां जैन श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। इस अवसर पर खास यह होता है कि जलमंदिर (अग्नि संस्कार भूमि) में लड्डू चढ़ाने के लिए श्वेताम्बर व दिगंबर श्रद्धालुओं के बीच अलग-अलग बोली लगती है। दोनों संप्रदायों में अलग-अलग जो ज्यादा बोली लगाते हैं उन्हें सबसे पहले निर्वाण लड्डू चढ़ाने का मौका मिलता है।

 

13वीं शती ई॰ में जिनप्रभसूरीजी ने अपने ग्रंथ विविध तीर्थ कल्प रूप में इसका प्राचीन नाम अपापा बताया है। पावापुरी का अभिज्ञान बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन से 9 मील पर स्थित पावा नामक स्थान से किया गया है। यह स्थान राजगृह से दस मील दूर है। भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक यहाँ खंडहर के रूप में स्थित है। स्तूप से प्राप्त ईटें राजगृह के खंडहरों की ईंटों से मिलती-जुलती हैं। जिससे दोनों स्थानों की समकालीनता सिद्ध होती है।

 

आइए जानते हैं पावापुरी के प्राचीन मंदिरों के बारे में –

जल मंदिर पावापुरी (Jal temple pawapuri) – यह मंदिर यहां का मुख्य मंदिर है। यहां पर भगवान महावीर स्वामी का दाह संस्कार हुआ था। माना जाता है कि भगवान महावीर स्वामी जी का पुरा शरीर कपूर बनकर उड़ गया था। केवल बाल और नाखून का ही अग्नि संस्कार किया गया था। कहते है कि महावीर स्वामी जी के दाह संस्कार में इतने लोग एकत्रित हुए कि राख उठाते उठाते मिट्टी उठाने लगे। इससे एक छोटे तालाब का रूप बन गया। जिसकों बाद मे बड़ा तालाब का रूप दे दिया गया जो अब 85 बीघे में है। और इसके बीच कमल सरोवर पर एक भव्य मंदिर बनाया गया जो जल मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

 

श्वेताम्बर जैन मंदिर (Swetamber jain template) – भगवान महावीर स्वामी की इस स्थान पर मृत्यु हुई थी। यहां से भगवान महावीर स्वामी के पार्थिव शरीर को दाह संस्कार के लिए जल मंदिर वाले स्थान पर लाया गया था।

 

समोसरन मंदिर (Samosaran temple) – भगवान महावीर स्वामी इस स्थान पर उदेश दिया करते थे। उन्होंने इसी स्थान पर प्रथम और अंतिम उपदेश दिया था। अंतिम उपदेश देकर वे यहां से श्वेतांबर जैन मंदिर वाले स्थान पर चले गए थे। जहां उनका देहांत हो गया था।

 

दिग्म्बर जैन मंदिर (Digambar jain temple) – इस मंदिर के स्थान पर भगवान महावीर स्वामी जी ध्यान करते थे।

 

दादा गुरूदेव का मंदिर (Dada gurudev temple) – इस मंदिर को दादा बाड़ी मंदिर भी कहते है। यहाँ पर भगवान महावीर स्वामी जी के बाताए गए रास्ते पर चलने वाले गुरूओं का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर, पंचम गणधर श्री सुधर्मा स्वामी तथा भगवान वर्द्धमान तीर्थंकर की मूर्तियां है। यह मंदिर श्री जैन श्वेताम्बर समोसरन मंदिर के निकट है। दोनों मंदिर एक ही जगह में है। यह भगवान महावीर स्वामी जी का आराधना मंदिर भी है।

 

पहुँचाने के रास्ते –

सड़क मार्ग – पटना, राजगीर, गया या बिहार के किसी भी शहर से सड़क मार्ग से जुड़ा है, टैक्सी या बस से पावापुरी घुमने आया जा सकता है। रेलमार्ग – पावापुरी बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन से लगभग 25 किमी, नालंदा से लगभग 24 किमी तथा राजगीर से 37 किमी की दूरी पर स्थित है, लेकिन निकटतम सुविधाजनक रेलवे स्टेशन पटना में है जो 90 किमी की दूरी पर स्थित है। वायुमार्ग – वैसे तो गया में एक हवाई अड्डा है, लेकिन निकटतम सुविधाजनक हवाई अड्डा पटना है जो लगभग 101 किमी पर है। भारतीय एयरलाइंस पटना को कलकत्ता, बॉम्बे, दिल्ली, रांची और लखनऊ से जोड़ती है।

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