आज अगर बात करूँ पञ्चांग की तो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 17 नवम्बर 2019 है। वैसे यहाँ ये बताना भी जरूरी है कि ये ग्रेगोरी कैलेंडर का दिनाँक है जिसे 1582 में शुरू किया गया था, क्योंकि इससे पहले जुलियन कैलेंडर का प्रयोग किया जाता था। लेकिन 5 अक्टूबर 1582 को पता चला कि वास्तव में इस कैलेंडर के हिसाब से दिनाँक 10 दिन पीछे चल रहा था, इसलिए जूलियन के कैलेंडर को हटाकर ग्रेगोरी के कैलेंडर को अपनाया गया और उस दिन की दिनाँक को 15 अक्टूबर 1582 माना गया।
यानी 1582 में अक्टूबर की 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14 तारीख आयी ही नहीं थी। वैसे इस ग्रेगोरी के कैलेंडर में 4 वर्ष बाद लीप वर्ष होता है, और फरवरी को 28 की जगह 29 दिन का कर दिया जाता है, जिससे एक दोष ठीक हो जाता है, लेकिन इसके बाद भी एक दोष रह जाता है, जिसका शुद्धिकरण 400 साल के हिसाब से होता है। यानि 400 साल में लीप वर्ष 100 होने चाहिए और सामान्य वर्ष 300 होने चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है, और 400 में 97 ही लीप वर्ष होते हैं, जबकि सामान्य वर्ष 303 होते हैं। यानी आखरी के 12 साल कोई लीप वर्ष नहीं आता है जबकि 4 वर्ष बाद आने के हिसाब से 3 लीप वर्ष को गुल कर दिया जाता है।
ऐसे ही एक इस्लामिक कैलेंडर होता है, जिसको हिजरी कहा जाता है। इसकी शुरुआत 622 ई. में हुई थी जब मोहम्मद साहब को मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा था। इस हिसाब से अभी 2019 में देखा जाए तो (2019-622) 1397 वर्ष हुआ है। हिजरी सन की बात की जाए तो आज का दिनाँक 19 रबी-अल-अव्वल 1441 चल रहा है। यानी मुस्लिम के हिसाब से जो 1441 साल हुए हैं वो दुनिया के हिसाब से अभी मात्र 1397 ही साल हो रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से यानी हिजरी सन में 354 दिन का एक साल होता है जिसके कारण 33-34 साल में ये अंतर 1 साल का हो जाता है जैसे दुनिया के हिसाब से जो इंसान 100 साल का होता है वो मुस्लिम के हिसाब से 103 साल का होता है।
हिंदुओं की जो पञ्चांग गणना है वो सबसे शुद्ध होती है और उसके हिसाब से हजारों वर्ष आगे-पीछे की दिनाँक देखी जा सकती है और उसमें कोई त्रुटि नहीं होती है क्योंकि उसको सूर्य चन्द्र और नक्षत्रों को ध्यान में रखकर काल-गणना की जाती है। काल गणना में मुख्यतः साल की गणना विक्रम-संवत से शुरू है। जिसमें सूर्य के हिसाब से साल को माना जाता है, लेकिन मास की गणना चन्द्र के हिसाब से होती है इसलिए 3 साल में 1 मास का अधिमास जोड़ा जाता है। विक्रम-संवत से आज की तिथि 5-मार्गशीर्ष-2076 है।
वैसे एक साल में 12 महीने और एक सप्ताह में 7 दिन हिन्दू पञ्चांग के हिसाब से विक्रमी सम्वत से शुरू हुए थे यानी आज के 2076 साल पहले, और दुनियां के दूसरे सभी कैलेंडर इसके बाद शुरू किए गए थे, जिन्होंने इसी फार्मूला को कॉपी किया है। दुनियां के सभी कैलेंडर में 12 ही महीने होते हैं और सप्ताह में 7 दिन होते हैं। वैसे हिन्दू कैलेंडर में 15 दिन का पक्ष और 6 महीने का आयन भी होता है। यानी काल गणना की बहुत सी इकाइयां होती हैं जिनमें सूक्ष्म त्रुटि से लेकर कल्प तक की इकाइयां हैं, और ये सब ज्ञान हजारों साल पुराना है शायद तब दुनिया के दूसरे हिस्से के लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
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