शंखपुष्पी दिल के साथ दिमाग को भी फिट रखती है

आयुर्वेद के अनुसार, शंखपुष्पी एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो दिमाग के लिए बहुत अच्छा माना जाता है! यह दिमाग को ताकत देने वाली, बुद्धि और यादाश्त को बढाने वाली औषधि होने के साथ-साथ अनेक तरह की बीमारियों को दूर करने वाली औषधि के रूप में भी काम आती है।! आज के तनावपूर्ण लाइफस्टाइल में हर किसी को इसका सेवन करना चाहिए! प्रकृति से मिला शंखपुष्पी एक ऐसा औषधि है जो हमें स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से बचाता है!

 

शंखपुष्पी एक प्राचीन जड़ी बूटी है जिसका प्राचीन काल से ही बिमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है! शंखपुष्पी के फुल शंख की तरह दिखाई देते हैं, इसलिए इसे शंखपुष्पी कहा जाता है!  भारत में यह पथरीले मैदानों में बड़ी आसानी से पाई जाती है। शंखपुष्‍पी को वैष्‍णव, विष्‍णुकांता और विष्‍णुगंधी जैसे कई नामों से जाना जाता है। यह वनस्पति मुख्य रूप से दिमाग को बल देने वाली, याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाने वाली औषधि है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। आइए, जानते है शंखपुष्पी के फायदे –

 

याददाश्त बढ़ाने में मददगार –

दिमाग की मजबूती बढ़ाने के लिए शंखपुष्पी से अच्छी कोई औषधि नहीं मानी जाती। इस जड़ी-बूटी को दिमाग और याद्दाश्‍त तेज करने वाला टॉनिक भी कहा जा सकता है। शंखपुष्पी का हमेशा से प्रयोग मस्तिष्क से संबंधित रोगों में किया जाता है। शंखपुष्पी और गिलोय का सत्व, अपामार्ग की जड़ का चूर्ण, विडंग के बीजों का चूर्ण, कूठ, वचा, शतावरी और छोटी हरड़ को समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त तेज होती है। इससे अल्‍जाइमर, तनाव, चिंता, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी कई समस्‍याओं का इलाज किया जा सकता है।

 

 

हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी का इलाज –

शंखपुष्‍पी से ठीक होने वाली बीमारियों में हाइपरटेंशन का नाम भी शामिल है। ये जड़ी-बूटी ब्‍लड प्रेशर बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे कि एड्रेनलाइन और कोर्टिसोल को नियंत्रित कर स्‍ट्रेस हार्मोन के उत्‍पादन को कंट्रोल करने में असरकारी पाई गई है।

 

अनिद्रा –

एक गिलास दूध में सोने से पहले जीरा और शंखपुष्‍पी का एक चम्‍मच पाउडर मिलाकर पीने से नींद अच्‍छी आती है और नींद से जुड़े विकार जैसे कि अनिद्रा का इलाज होता है।

 

बाल बनें लंबे और चमकदार-

यह औषधि बालों को बढ़ाने वाली तथा इन्हें चमकदार बनाने वाली है। इसका जड़ सहित पूरा पौधा पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से बाल लंबे, सुंदर और चमकदार होते हैं। शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक जाता है और बाल घने, मजबूत और चमकदार हो जाते हैं। शंखपुष्पी, भृंगराज और आंवला से निर्मित तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं।

 

खून की उल्टी रोके –

शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि है। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तो 4 चम्मच शंखपुष्पी का रस, 1 चम्मच दूब घास तथा 1 चम्मच गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता है। नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।

 

मूत्र विकार में फायदेमंद –

मूत्र रोग में शंखपुष्पी बड़ी ही लाभकारी औषधि है। पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब होना, पेशाब में पस आ जाना आदि रोग इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए प्रतिदिन इसका पांच ग्राम चूर्ण गाय के दूध, मक्खन, शहद अथवा छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

 

डायबिटीज में लाभकारी –

शंखपुष्पी के सेवन से डायबिटीज के रोगियों को नया जीवन प्राप्त होता है। यह शरीर की सभी कोशिकाओं में नवशक्ति का संचार करती है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शंखपुष्पी का चूर्ण 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करें, काफी लाभ होगा।

 

अस्थमा, सर्दी, खांसी, बुखार ठीक करे –

मौसम बदलने के साथ-साथ अस्थमा, सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती है। बुखार, अस्थमा और पुरानी खांसी से राहत के लिए इसके पत्तों को सुखाकर हुक्के की तरह इसका सेवन करने से लाभ होता है। शंखपुष्पी शरीर में पित्तदोष के रस का संतुलन बनाए रखती है, जिससे एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है। इसके लिए शंखपुष्पी के पत्ते का 4 छोटा चम्मच रस निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करें। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ कराया जाता है।

 

मिर्गी ठीक करे –

मिर्गी के मरीज को शंखपुष्पी के पूरे पौधे के रस या चूर्ण को कूठ के चूर्ण के साथ समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। इससे मरीज के दिमाग को शक्ति मिलती है। हिस्टीरिया और उन्माद जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने में भी शंखपुष्पी अचूक साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी, वचा और ब्राह्मी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और इसे 3-3 ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार दें, रोग ठीक जाएगा।

 

बवासीर एवं कब्ज दूर करे, पाचन को दुरुस्त करे –

बवासीर एवं गैस के रोगों में शंखपुष्पी अत्यंत लाभकारी औषधि साबित होती है। इसके सेवन से आंतों के अंदर रुका हुआ (मलरूपी) विष बाहर निकलता है और कब्ज एवं बवासीर दूर होता है। शंखपुष्‍पी शरीर में पाचन प्रक्रिया को दुरुस्‍त करने में भी मदद करती है। इसके पौधे के हर हिस्‍से से निकला रस शरीर में फ्लूइड को जमने से रोकता है और पाचन में मदद करता है। ये पेट से जुड़ी परेशानियों खासतौर पर पेचिस के इलाज में इस्‍तेमाल की जाती है।

 

गर्भाशय को ताकत दे –

गर्भाशय से निकलने वाले रक्त को रोकने के लिए यह एक उत्तम और पौष्टिक औषधि है। गर्भाशय से संबंधित किसी भी रोग में यह अत्यंत लाभकारी साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए।

 

हाइपरथायराइड –

अध्‍ययनों की मानें तो शंखपुष्‍पी में थायराइड-रोधी गुण होते हैं। इस बूटी की जड़ को हाइपरथायराइड पर प्रभावशाली पाया गया है। इसके पौधे का रस स्‍ट्रेस की स्थितियों में थायराइड हार्मोन के उत्‍पादन को कम कर के थायराइड ग्रंथि को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। ये जड़ी-बूटी लिवर द्वारा उत्‍पादित कुछ एंजाइम्‍स पर तेज असर करती है जिससे हायपरथायराइड के लक्षणों में सुधार आने में मदद मिलती है।

 

कार्डियक अरेस्‍ट से बचाव –

शंखपुष्‍पी में मौजूद एथेनोलिक एसिड कार्डियक अरेस्‍ट आने के प्रमुख कारणों में से एक नॉन-एस्टेरिफाइड फैटी एसिड के स्‍तर को कम करता है। इस पौधे में केंफेरोल नामक फ्लेवेनॉएड पाया जाता है जो कि एनईएफए के असर को कम कर देता है। इस प्रकार शंखपुष्‍पी दिल को भी स्‍वस्‍थ रखती है।

 

नोट – इस औषधि का उपयोग करने से पहले चिकत्सक से इसकी मात्रा, लाभ और नुकसान (साइड इफ़ेक्ट) के बारे में जरुर पूछ (परामर्श) लें!

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