Vijaygarh Durga | अब तक हमने आपको कई किलो के बारे में बताया जिनकी कहानी काफी रहस्यमयी और रोमांचक रही। आशा करते हैं आपको ये जरूर पसंद आई होगी। इसी बीच हम लेकर आए हैं आपके लिए एक ऐसे अनोखे किले की जानकारी जो अपने आप में बहुत ही खास है। यह किला पर्यटकों को हमेशा ही लुभाता रहा है, साथ ही इसमें कई गहरे राज भी छुपे हुए हैं। यही नहीं दोस्तों कहा जाता है कि इसमें खजाना भी छुपा हुआ है और इसी खजाने के लालच में कई लोगों ने इस किले तक को भी खुदवा दिया था। तो चलिए जानते हैं इस किले के बारे में…
दरअसल, हम बात कर रहे हैं सोनभद्र जनपद का विजयगढ़ दुर्ग किले के बारे में। यह किला जितना खूबसूरत है उतना ही अपने में कई राज समेटे हुआ है। आप इस किले की तस्वीर देखेंगे तो आप समझ पाएंगे कि उस दौर में इस किले का वैभव कैसा रहा होगा? दुर्ग की एक-एक दीवार ऐसा लगता है जिसे मानो आपसे बातें कर रही हो और इसकी यही खूबसूरती निहारने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
चंद्रकांता धारावाहिक से ख्याति प्राप्त कर चुके इस दुर्ग के अंदर से गुफा के जरिए नौगढ़ और चुनारगढ़ किले के लिए रास्ता बना है। हैरानी वाली बात ये है कि यह रास्ता तिलस्म से ही खुलता है। कहते हैं ये वही गुफाएं है जिसमें दुर्ग का खजाना भी छुपा हुआ है। दुर्ग के ऊपर बने छोटे-बड़े 7 तालाब हैं। इनमें रामसरोवर तालाब और सीता तालाब में कभी पानी नहीं सूखता, और यह एक रहस्यमयी कहानी है।
इस किले को देखने में आपको जितना खूबसूरत महसूस होगा उतना ही यह आस्था से भरा हुआ भी लगेगा। इसके साथ ही आप इसे देखने के दौरान रहस्य और रोमांच से भी भरा हुआ महसूस करेंगे, क्योंकि जैसे आप इस किले को देखते जाएंगे वैसे-वैसे आपके मन में कई तरह के सवाल उठने लगेंगे। दोस्तों, विजयगढ़ दुर्ग किला हजारों साल पुराना बताया जाता है।
इस दुर्ग का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। कहते हैं कभी विजय गिरी के नाम से पहचान रखने वाले इस किले पर ऋषियों द्वारा तपस्या की जाती थी। यही नहीं दोस्तों मानता है कि चंद्रगुप्त मौर्य को जब मगध पर आक्रमण करना था तो उन्होंने अपनी सेवा को इसी किले पर ठहराया था। यहां पर उन्होंने अपनी सेवा के साथ विश्राम किया और फिर वे आक्रमण के लिए निकल गए।
इस किले ने लोगों का ध्यान उस दौरान सबसे ज्यादा खींचा जब दूरदर्शन पर देवनदी खत्री द्वारा लिखे गए उपन्यास ‘चंद्रकांता’ संतति आधारित सीरियल चला। इस दौरान इस किले की लोकप्रियता रातों-रात बढ़ गई थी, हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह मिला पहले से भी काफी मशहूर था। इसके बाद जब दोबारा इसमें चंद्रकांत का नाम का धारावाहिक बना तब भी यह काफी चर्चा में रहा।
बता दे इस किले में सुरक्षा के लिए करीब 6 फीट चौड़ी दीवार बनी बनाई गई है। कहा जाता है कि यह वही दीवार है जिस पर क्रूर सिंह का घोड़ा दौड़ाया जाता था। इस किले में मौजूद एक तालाब भी है जो कितनी ही भीषण गर्मी आ जाए लेकिन यह तालाब सूखता नहीं है।
इसकी गहराई देखकर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि गुजरें दिनों यहां के क्या ही नजारे होंगे। ऐसी मान्यता है कि यह तालाब वरुण देव का वरदान है। इस तालाब का पानी पूर्णिमा के दिन थोड़ा ही सही पर बढ़ता जरूर है और यही चमत्कार देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
वहीं इसमें गुप्त रास्ता भी दिखाई देता है जो लोगों को आकर्षित करता है। यही नहीं दोस्तों विजयगढ़ दुर्ग के इस किले में विजयगढ़ स्टेट की राजकुमारी चंद्रकांता और नौगढ़ के राजकुमार वीरेंद्र सिंह की अमर प्रेम कहानी भी शुरू हुई थी।