Satkhanda Palace | Datia Palace | Datia Mahal | Badnaseeb Mahal | भारत में अद्भुत किलों का इतिहास काफी पुराना रहा है। कई राजाओं ने आलीशान महल बनवाए जो आज भी इतिहास को दर्शाते हैं। देश में आंधी, तूफान भूकंप जैसी कई घटनाएं घटित होती है लेकिन इन महलों कुछ नुकसान नहीं होता। यह ज्यों के त्यों खड़े हैं। आज हम एक बार फिर लेकर आए हैं भारत के गौरवशाली इतिहास का एक ऐसा आलीशान महल जो 400 साल से वीरान पड़ा हुआ है। आखिर ऐसा क्या था इस महल में जो कोई नहीं रुका? क्या यहां पर कोई अदृश्य शक्ति रहती है या फिर कुछ और रहस्य है? आपको इस वीडियो में इस महल से जुड़े सारे राज देखने को मिलने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं दोस्तों इस महल की कहानी और इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित ‘सतखंडा महल’ के बारे में.. यह महल अपनी अद्भुत कला और बनावट के लिए मशहूर है। कहा जाता है कि 1620 में दतिया के राजा बीर सिंह ने इस महल को बनवाया था। कहते हैं यहां पर जहांगीर आने वाले थे जिसकी चलते राजा बीर सिंह ने उनके लिए यह महल बनवाया था। ताकि भव्य तरीके से उनका स्वागत हो सके।
इस खूबसूरत महल में 440 कमरे हैं, लेकिन बदनसीबी की बात यह है कि, इस किले में 400 साल से कोई नहीं रहा। यानी कि यह किला 400 साल तक वीरान पड़ा रहा। इसलिए इस किले को बदनसीब महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल की सबसे खासियत यह है कि, इसमें ना तो लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है और ना ही इसमें लोहे के कण मिलाए गए हैं। यह महल पूरी तरह से ईंटों और पत्थर से मिलकर बनाया गया है। इसकी खूबसूरती देख कर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि पहले के राजा महाराजा किसी भी महल को बनाने के लिए कितनी मेहनत करते थे। यही वजह है कि आज भी उनके द्वारा बनाए गए किले और महल ज्यों के त्यों खड़े मिलते हैं।
कहा जाता है, इस खूबसूरत 7 मंजिला महल में केवल कोई सिर्फ एक रात के लिए ही रुका था। इसके बाद यह 400 साल से वीरान पड़ा हुआ है। इसके वीरान पड़े रहने की पीछे की कहानी बताई जाती है कि दतिया जिला बीरसिंह देव को जहांगीर की तरफ से तोहफे में मिला था और उन्होंने यह तोहफा इतना सहज कर रखा कि यह कभी भी यहां रहने के लिए नहीं आए।
कहा जाता है कि, बीर सिंह देव के जहांगीर पर कई एहसान थे। ऐसे में जहांगीर ने अपने मित्र को खुश करने के लिए घोषणा करते हुए अपने साम्राज्य में 52 इमारतों के निर्माण स्थान के लिए हरी झंडी दे दी, जिसमें एक दतिया स्थान भी था। दतिया को उन्होंने बीर सिंह देव को उपहार स्वरूप दिया था। बताया जाता है कि एक बार यहां पर शहंशाह महल में आए थे और वह सिर्फ एक रात रूके थे। इसके बाद यह सात खंडा महल सालों से सुना पड़ा हुआ है।
वैसे तो इस महल को साथ खंडा महल के नाम से जाना जाता है लेकिन जब आप इस पर नजर डालेंगे तो केवल आप पांच मंजिल ही देख पाएंगे। अब आप सोच रहे होंगे आखिर ऐसा क्यों? दरअसल, इसके पीछे का कारण है कि इसकी दो मंजिला इमारत जमीन के नीचे बनी हुई है और पांच जमीन के ऊपर बनी हुई है। जमीन के नीचे बनी हुई मंजिल में जाने के लिए खुफिया रास्ते का इस्तेमाल किया जाता था।
इस महल को सतखंडा महल के अलावा वीर सिंह देव महल और गोविंद महल के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि, उस दौर में इस पूरे महल को बनाने के लिए 35 लाख का खर्चा आया था। वहीं इसकी नकाशी के चलते इसे बनाने में मजदूरों को करीब 9 साल का समय लग गया था। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसमें भगवान गणेश और मां दुर्गा का मंदिर है। साथ ही इसमें आपको एक दरगाह भी बनी हुई दिखाई देगी। Histroy of Satkhanda Mahal | Badnasib Mahal | Madhya Pradesh