Bhojpur Shivling Mandir | मनुष्य का मन हमेशा ही रहस्य और पहेलियां को जानने के लिए उत्सुक रहा है। आपने जरूर देखा होगा दोस्तों की कोई भी कहानी सुनने या सुनाने के दौरान काफी आकर्षक लगती है और यही उस कहानी का असली रूप होता है जिसे अंत तक लोग सुनते रहते हैं। ठीक इसी तरह दुनिया भर में कई रहस्यमयी जगह, मंदिर, इमारत और महल है जिनका रहस्य कोई नहीं जान पाया लेकिन इनका रहस्य जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है। हमने आपको अब तक कई ऐसी जगह बताई जो अपने आप में बेहद खास रही। इसी बीच हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और ऐसे मंदिर की जानकारी जो बहुत ही प्रचलित है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर की कहानी.
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के भोजपुर के बारे में। भोजपुर की पहाड़ी पर एक अद्भुत और विशाल शिव मंदिर है। यह मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है लेकिन यह एक अधूरा शिव मंदिर है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर मंदिर अधूरा कैसे हो सकता है? भोजपुर मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोजपुर द्वारा किया गया था। यही वजह है कि इस मंदिर का नाम भोजपुर मंदिर पड़ा, यह मंदिर पहाड़ी के बीचों बीच बना हुआ है और इसके पास से बेतवा नदी गुजरती है।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह अधूरा है और इसका पूरा निर्माण नहीं हुआ है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण सिर्फ एक रात में ही करना था लेकिन निर्माण से पहले ही सूर्योदय हो गया और इसके बाद इसका काम वैसा का वैसा ही रोक दिया गया। कहा जाता है कि उसी दिन से यह मंदिर अधूरा है और इस अधूरे मंदिर की ही पूजा की जाती है।
इस मंदिर में पूजा अर्चना भी विशेष तरीके से की जाती है। दरअसल, इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग इतना बड़ा है कि आप यहां खड़े होकर भी अभिषेक कर सकते हैं। कहते हैं यहां अभिषेक हमेशा जलहरी पर चढ़कर ही किया जाता है। कुछ समय पहले श्रद्धालु भी जलहरी तक पूजा कर सकते थे, लेकिन अब यहां केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति है।
ये भी मान्यता है कि पांडवों ने माता कुंती के साथ इस मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी, लेकिन जैसे ही सुबह हुई तो पांडव लुप्त हो गए और यह मंदिर भी अधूरा रह गया। हालांकि दोस्तों इन कहानियों में कितनी सच्चाई है यह तो कोई नहीं, लेकिन हां आज भी इस मंदिर की बहुत मान्यता है और हर दिन यहां पर दर्शन करने वालों भक्तों की भीड़ लगी होती है।
जब भी आप इस मंदिर में जाएंगे तो आप देखेंगे कि यहां पर अधूरे पिलर दिखाई देंगे। यहां की मूर्तियां भी अधूरी ही है। और ये सब इस बात की गवाही जरूर देते हैं कि इस मंदिर का काम बीच में ही रोक दिया गया। मंदिर में शिवलिंग का आकार बहुत बड़ा है जिसे देखने के बाद आपके मन में यह सवाल जरूर उठेगा कि आखिर इतने बड़े पत्थर को यहां पर कैसे लाया गया?
तो बता दे की मंदिर के पीछे एक ढलान है जिसका उपयोग यहां पर विशाल पत्थरों को लाने के लिए किया गया था। कहा जाता है कि ढलान की सहायता से ही लगभग 7 हजार किलो के पत्थरों को निर्माण के लिए पहाड़ी की चोटी तक पहुंचाया गया।
यह मंदिर 106 फुट लंबा और 77 फुट चौड़ा है। मंदिर 77 फुट ऊँचे एक चबूतरे पर बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह की अपूर्ण छत 40 फुट ऊंची बताई जाती है जो सिर्फ चार स्तंभों पर टिकी हुई है। वही गर्भ ग्रह का विशाल द्वारा दो तरफ से गंगा और यमुना की प्रतिमाओं से सजा है। वही इसके चार स्तंभ पर शिव पार्वती, सीताराम, लक्ष्मी नारायण और ब्रह्मा सावित्री की प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है।
गर्भ ग्रह में स्थिति यह शिवलिंग करीब 22 फुट ऊंचा है जो दुनिया के विशाल शिवलिंग में से एक माना जाता है। शिवलिंग का व्यास 7.5 फुट है और यह शिवलिंग एक ही पत्थर से बनाया है। इस शिवलिंग को बनाने में चिकनी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है जो अपने आप में बहुत खास है।