एक बार फिर हम आपके लिए लेकर आए हैं इतिहास से जुड़े एक ऐसे किले की जानकारी जिसकी सच्चाई जानकर हर कोई दंग रह जाता है। यह किला अपने आप में बहुत खास है और कई सालों पुराना बताया जाता है। किले का इतिहास कुछ ऐसा है कि सुनने वाले भी दंग रह जाते हैं। इस किले से कई बेशकीमती हीरे भी निकले हैं। तो चलिए जानते हैं दोस्तों इस किले के बारे में.
जिस किले के बारे में हम आपसे बात करने वाले हैं उस किले का नाम ‘गोलकोंडा किला’ है जो तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। कहा जाता है कि, यह किला 1143 का है जब इसे कुतुब शाही राजवंश द्वारा बनवाया गया था। इस किले का नाम एक तेलुगू शब्द ‘गोल्ला कोंडा’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है चरवाहा।
कहते हैं, शुरुआत में यह किला मिट्टी का बनाया गया था लेकिन कुतुब शाही राजवंश के दौरान इसे ग्रेनाइट में बदल दिया गया। यह किला अपनी वास्तुकला के साथ-साथ पौराणिक कथाओं, इतिहास और रहस्यों के लिए जाना जाता है। इतिहासकारों का कहना है कि, एक दिन एक चरवाहे लड़के को पहाड़ी पर आकर्षण मूर्ति मिली जब उस मूर्ति की सूचना तत्कालीन शासक काकतीय राजा को दी गई तो उसे पवित्र स्थान मानकर उसके चारों ओर मिट्टी का एक किला बना दिया. लेकिन बाद में इसी किले को ग्रेनाइट से तैयार किया और इसे गोलकुंडा नाम दिया गया।
400 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला अपने आप में काफी आकर्षक लगता है। यही वजह है कि लोग इसे दूर-दूर से देखने आते हैं। इस किले में आपको 8 आलीशान दरवाजे और 87 गढ़ देखने को मिलेंगे। इस किले में फतेह नाम का एक दरवाजा है जो 13 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबा बताया जाता है। इस किले की भव्यता का अंदाज आप इसका दरबार हॉल देखकर लगा सकते हैं। जब आप इस किले में पहुंचेंगे तो देखेंगे कि यहां पर एक आलीशान हाल है जिसमें दरबार लगाया जाता था और यहां पर आम जनता की पुकारे सुनी जाती थी।
वैसे इस किले तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं। दरअसल किले में जाने के लिए आपको हजार सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। किले का निर्माण पहाड़ी की एक चोटी पर किया गया है। इस किले की सबसे रहस्य बात यह है कि जब कोई इस किले के अंदर ताली बजाता है तो उसकी आवाज बाला हिसार गेट से घूमते हुए पूरे किले में सुनाई देती है और यह अपने आप में काफी रोमांचक भी होती है। इसे ‘तालियां मंडप’ और ‘ध्वनि अलार्म’ भी कहा जाता है।
ऐसा कहते हैं की इस किले में एक रहस्यमयी सुरंग भी है जिसका रास्ता दरबार हॉल के नीचे से बनाया गया है। कहा जाता है कि आपातकालीन स्थिति में शाही परिवार को इसी सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाला जाता था, हालांकि अभी सुरंग का कोई पता नहीं है। लेकिन उस दौरान यह शाही परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी।
आप यह जानकर भी हैरान हो जाएगी की दुनिया भर में जिस कोहिनूर की चर्चा होती है, वो कोहिनूर भी इसी गोलकुंडा से मिला था। जी हां… गोलकुंडा वही जगह है जहां से हमें कोहिनूर प्राप्त हुआ लेकिन आज यह कोहिनूर ब्रिटिशर्स के पास है। न केवल इस जगह से कोहिनूर मिला बल्कि दरिया-ए-नूर, नूर-उल-ऐन हीरा, होप डायमंड और रीजेंट डायमंड भी गोलकुंडा की खुदाई के दौरान ही मिले थे।
इस गोलकुंडा किले के सबसे ऊपर श्री जगदंबा महामंदिर भी स्थित है। कहते हैं राजा इब्राहिम कुली कुतुब शाह अपनी प्रजा के बीच इतने लोकप्रिय थे कि उन्होंने हिंदुओं के लिए एक मंदिर भी बनाया था। दोस्तों, इस किले के अंदर एक बहुत पुराना अफ्रीकी बाओबाब पेड़ भी है। कहते हैं यह पेड़ करीब 400 साल पुराना है। ऐसा कहा जाता है दोस्तों, इस पेड़ को कुछ अरब ट्रेडर्स ने सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह को तोहफा में दिया था। इसके बाद उन्होंने इस पेड़ को अपने किले के अंदर लगाया जिसे आज ‘हथिया का झाड़’ के नाम से जाना जाता है।
गोलकुंडा किला सुबह 9:00 बजे से शाम के 5:30 तक खुला रहता है। यहां पर साउंड एंड लाइट शो भी होता है जिसे देखने के लिए आपको 130 रुपए शुल्क देना पड़ता है। दोस्तों यदि आप भी गोलकुंडा किला देखना चाहते हैं तो आप यहां पर बस, ट्रेन और हवाई यात्रा के माध्यम से जा सकते हैं। गोलकोंडा किला हैदराबाद के मुख्य बस स्टैंड से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जी हाँ… जब आप हैदराबाद बस स्टेशनपहुँच जाते हैं, तो आप स्थानीय टैक्सी ले सकते हैं या ऑनलाइन कैब बुक करके गोलकोंडा किले तक पहुंच सकते हैं, यहां से आपको केवल 35 से 40 मिनट का समय लगेगा।
आप हैदराबाद में गोलकोंडा किले के अलावा चारमीनार, मौला अली हिल, हुसैन सागर झील, नेहरू जूलॉजीकल पार्क, मक्का मस्जिद, कुटुम शाही मकबरे और पब्लिक गार्डन जैसी जगह भी देख सकते हैं। Golkonda Fort | Hyderabad | Telangana Tourism | Incredible India