राजा-महाराजाओं द्वारा बनाए गए किले और महल का अपना एक इतिहास रहा है। आज भी इन महलों को जब देखा जाता है तो यह अपने आप में रहस्य से भरे लगते हैं। कई किले की ऐसी-ऐसी कहानियां सामने आई है जिसे सुनने के बाद डर सा महसूस होता है तो इनकी कहानी रोमांचक भी लगती है। इसी फेहरिस्त में आज हम बात करेंगे एक ऐसी बावड़ी के बारे में जो लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाती आती है। जी हां, आप यह पढ़कर थोड़ा सा असहज महसूस करेंगे लेकिन इस पोस्ट के अंत तक हम आपको इस बावड़ी से जुड़ी कई बातें बताने वाले हैं। तो चलिए आगे जानते हैं आखिर यह बावड़ी कहां है और इसका निर्माण किसने करवाया और आखिर इसके राज क्या है?
हम बात कर रहे हैं दिल्ली में स्थित ‘अग्रसेन की बावड़ी’ के बारे में.. ये एक ऐसी बावड़ी है जिसको लेकर तरह-तरह के बातें की जाती है। इसमें कौन से राज सच है और कौन से झूठे हैं यह कोई नहीं जानता? कोई लोग इसे भूतिया स्मारक कहता है तो इसे पुराने खंडहर के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहासकारों के मुताबिक बावड़ी को महाराजा अग्रसेन ने 14वीं शताब्दी में बनवाया था। 60 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा सीढ़ी नुमा इसमें एक कुआं भी देखने को मिलता है और यही एक वो कुआं है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कहा जाता है कि महाभारत काल में ही इसका निर्माण करवा दिया गया था। इसके बाद अग्रवाल समाज ने इस बावड़ी की मरम्मत करवाई। इस बावड़ी की स्थापत्य विशेषताओं से यह भी संकेत मिलता है कि इस बावड़ी का पुनर्निर्माण तुगलक वंश 1321 और 1414 या लोदी वंश 1451 से 1526 के दिल्ली प्रशासन के दौरान किया गया था।
बात करते हैं इसके कुएं के बारे में। दोस्तों, ये कुआं अपने आप में ही बेहद खास है। इस तक पहुंचने के लिए आपको करीब 106 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। कहा जाता है कि उस समय की महिलाएं इस कुएं पर इकट्ठा होती थी और बावड़ी के पास शांत वातावरण में बैठकर आराम करती थी। यह भीषण गर्मी से बचने का भी एक तरीका था जहां पर सारी सहेलियां बैठकर बातचीत किया करती थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि, बावली के धनुषाकार कक्षों का उपयोग विभिन्न धार्मिक कार्यों और समारोहों के लिए किया जाता था।
इस बावड़ी को चट्टानों और पत्थरों के माध्यम से बनाया गया है। बावड़ी का आयातकर आकार है जो इसे दिल्ली की अन्य बावड़ी से अलग बनाता है। जब आप इस बावड़ी के अंदर जाते हैं यानी कि इसकी सीढ़ियां उतरते हुए अंदर की तरफ जाते हैं तो आपको तापमान में भी गिरावट देखने को मिलती है। इस बावड़ी की सबसे भयानक कहानी यह है कि कुए के अंदर आत्मघाती काला पानी लोगों का दिमाग घुमा देता था जिसके चलते वह आत्महत्या करने लग जाते थे। इसके पीछे की असली सच्चाई क्या है यह तो कोई नहीं जानता। यह कुआं कई दिनों से सुखा भी पड़ा हुआ है।
कहा जाता है कि इस बावड़ी में रहस्यमय काला पानी था जो लोगों की जान ले लेता था। कहते हैं जैसे ही लोग सीढ़ियों से पानी की ओर जाते हैं तो उन्हें कुछ ऐसी अदृश्य शक्तियां दिखाई देती है जो उन्हें अपनी ओर खींचती है और धीरे-धीरे फिर यह पानी के अंदर समा जाते हैं। हालांकि गंगा न्यूज़ इस बात की पुष्टि नहीं करता। अब ये तो रिसर्च से पता चलनेवाला है कि यहां मौते हुई है या नहीं?
अपने रहस्यमयी कारणों के साथ-साथ अग्रसेन की यह बावड़ी अपने अनूठी वास्ता कला और देहाती माहौल के लिए भी काफी चर्चा में रहती है। दरअसल, यह एक ऐसी जगह है जहां पर बॉलीवुड की कई फिल्में शूट हो चुकी है। इस बावड़ी में ‘पीके’ जैसी बड़ी फिल्मो की शूटिंग हो चुकी है। ख़ास बात ये हैं दोस्तों, यह बावड़ी दिल्ली की उन गिनी-चुनी बावड़ियों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं | Agrasen Ki Baoli | Agrasen Ki Bawri | Ugrasen Ki Baoli | Delhi Tourism