Jaipur Amer Fort | राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है जहां पर राजा-महाराजाओं का वास रहा है। जब भी बहादुरी के किस्से और इतिहास की बात आती है तो इसमें सबसे पहले राजस्थान का ही नाम सामने आता है। क्योंकि यहां पर ऐसे कई किले और धरोहर है जो राजा महाराजाओं का इतिहास बताती है। यही वजह है कि राजस्थान में हर साल लाखों विदेशी घूमने के लिए आते हैं।
इसी फेहरिस्त में आज हम जानेंगे राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक ऐसे किले के बारे में जो अपने आप में बहुत अनोखा है। इस किले की इतनी विशेषताएं हैं कि जब आप इसके बारे में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। यदि आप इतिहास प्रेमी है तो फिर आप एकदम सही पोस्ट पर आए हैं। आज हम आपको इस वीडियो में बताएंगे कि आखिर आमेर का किला इतना प्रसिद्ध क्यों है और दूर-दूर से लोग इसे देखने क्यों आते हैं? तो चलिए शुरू करते हैं दोस्तों आगे की दास्तां..
बात की जाए आमेर के किले के निर्माण के बारे में तो कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी के अंत में राजा मानसिंह ने इसे बनवाया था। हालांकि इसका निर्माण अधूरा रह गया था जिसके बाद इसे सवाई जयसिंह द्वितीय और राजा जयसिंह प्रथम द्वारा पूरा किया गया। कहा जाता है कि इस किले को बनाने के लिए 100 साल का समय लग गया था। वैसे आप इस किले की भव्यता देखकर यह समझ भी जाएंगे कि आखिर इस किले को बनने में इतने साल क्यों लगे? क्योंकि इसकी बनावट बहुत ही सुन्दर है और इस किले की हर एक दीवार कुछ ना कुछ बोलती है।
आमेर के किले में आपको शीला देवी मंदिर भी मिलेगा जिसकी कहानी बहुत दिलचस्प। इतिहासकारों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि राजा मानसिंह के सपने में देवी काली ने दर्शन दिए थे और उन्होंने राजा मानसिंह को बांग्लादेश के पास एक मूर्ति तलाशने के लिए कहा था। राजा मानसिंह ने भी ठीक वैसेवैसा ही किया जैसा उन्हें देवी काली ने निर्देश दिया था। कहते हैं यहां पर खुदाई के बाद मां की मूर्ति तो नहीं मिली लेकिन राजा मानसिंह कोई बड़ा सा पत्थर मिला जिसे लेकर वह आमेर लौट आए। इसके बाद इसी पत्थर के नाम पर एक मंदिर स्थापित कर दिया गया जिसे शीला देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
जब आप इस किले में जाएंगे तो आपको यहां पर एक शीश महल भी दिखाई देगा जो बहुत अनोखा है। यह शीश महल इतना खास है कि यदि यहां एक लाइट भी जलती है तो पूरा शीश महल जगमगा उठता है। कहा जाता है कि इस शीश महल में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। दोस्तों इस शीश महल में बॉलीवुड की मशहूर फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ की शूटिंग हो चुकी है।
आमेर के किले की सबसे खास बात यह भी है कि इसकी सुरंग सीधे जयगढ़ किले से मिलती है। जी हां दोस्तों आमेर के किले में 2 किलोमीटर लंबी एक सुरंग बनाई गई थी जो सीधा जयगढ़ किले से मिलती है। कहते हैं कि इस सुरंग को राजा की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। यानी की पहले के राजा महाराजा युद्ध को लेकर काफी सजग रहते थे और सुरक्षा में पुख्ता इंतजाम भी करते थे। यही वजह थी कि उन्होंने सुरक्षित बाहर निकलने के लिए आमेर के किले से जयगढ़ किले तक एक सुरंग बनाई। इसी किले में आपको एक सुहाग मंदिर भी दिखेगा जिस पर कई बड़ी-बड़ी खिड़कियां बनी हुई है। कहते हैं इसी सुहाग मंदिर के झरोखों से रानियां शाही दरबार में आए हुए लोग और इसमें होने वाले कार्यक्रम को देखती थी।
यदि आप भी इस किले की खूबसूरती को नजदीक से निहारना चाहते हैं तो यहां घूमने के लिए अक्टूबर से लेकर मार्च तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। और यहां पर जाना बहुत ही आसान है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे बड़े-बड़े शहरों से जयपुर के लिए आपको ट्रेन बस आराम से मिल जाएगी। आप यहां जाने के हवाई जहाज का रास्ता भी अपना सकते हैं। बता दे जयपुर से आमेर का किला लगभग 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां से आप बस या टैक्सी से आराम से जा सकते हैं।
यदि आप एक बार जयपुर पहुंच जाए तो आमेर का किला देखने के अलावा भी आपको जयपुर में कई महल देखने को मिलेंगे। यहां पर आप हवा महल, जयपुर सिटी पैलेस, जंतर मंतर, नाहरगढ़ किला जैसी जगह भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। Jaipur | Amer Fort | Incredible India | Rajasthan History