म्यूजिक कंपोजर और सिंगर Anu Malik सिंगिंग रियलिटी टीवी शो इंडियन आइडल में बतौर जज वापसी करने के बाद से ही लगातार सुर्खियों में बने होने के साथ ही Me Too के आरोपों के निशाने पर हैं। जिसके चलते उन्हें पहले भी इंडियन आइडल छोड़ना पड़ा था। हाल ही में सिंगर Neha Bhasin और Sona Mahapatra ने अनु मलिक पर सवाल उठाए थे जिसके बाद अब सिंगर Shweta Pandit ने भी आरोप लगाते हुए नेहा और सोना का सपोर्ट किया है।
श्वेता पंडित ने नेहा भसीन के अनु मलिक पर आरोप लगाने वाले एक ट्वीट के जवाब में लिखा, ‘2019 में भी, हम पीड़ितों से ही सवाल किया जा रहा है। दो दशकों से इस इंडस्ट्री में प्रोफेशनल सिंगर होने के बाद भी, कुछ संकीर्ण दिमाग वाले पूछ रहे हैं, हमने तब क्यों नहीं किया? वास्तव में लूजर्स? कल्पना कीजिए कि अगर मैं 2001 में स्कूल की बच्ची होता तो मैं क्या बोलती? Me Too के लिए भगवान का शुक्र है।’
Even in 2019, we are being questioned as victims,after myself being a professional singer in this industry for 2 decades-some narrow minds-why we didnt speak then?Really losers? Imagine what would happen off me if i did speak in 2001 when i was a school kid? Thank God for #MeToo https://t.co/7EEytDozpA
— Shweta Pandit Fucci (@ShwetaPandit7) November 1, 2019
श्वेता पंडित ने नेहा भसीन के ट्वीट को रिट्वीट किया था, जिस ट्वीट में नेहा भसीन ने लिखा था कि, ‘श्वेता पंडित 15 साल की थी जब उसके साथ गलत व्यवहार हुआ तब एक बच्ची और क्या बोलती। जो शर्म, डर, भ्रम महसूस होता है। प्लीज हमें पीड़ित पर सवाल उठाने बंद करने की जरूरत है। यह समय है जब आप अपराधियों पर सवाल उठाएं।’
इससे पहले श्वेता पंडित पिछले साल अनु मलिक पर Me Too के आरोप लगा चूकी है, लेकिन तब गीतकार समीर ने अनु मलिक पर लगाए श्वेता पंडित के आरोपों को झूठ बताया था। और कहा था की जब श्वेता अनु मलिक से मिलने पहुंची थी, तब वह भी वहीँ थे। श्वेता अपने माँ के साथ आई थी, और अनु मलिक ने श्वेता से कहा- बेटा आप कुछ गाना सुनना चाहते हो तो सुनाओ। तब खुद श्वेता ने कहा था कि क्या वो किसी दूसरे रूम में गा सकती हैं। तब अनु ने कहा था- मैं चाहता हूं कि समीर भी तुम्हारी आवाज सुनें।
दरअसल फिर से शुरू हुए इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब हाल ही में सचिन तेंदुलकर ने इंडियन आइडल के कंटेस्टेंट की तारीफ करते हुए लिखा- ‘इंडियन आइडल में प्रतिभाशाली युवाओं का गायन वाकई दिल को छू लेने वाला है। राहुल, चेल्सी, दिवस और सनी देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं लेकिन कई रुकावटों के बावजूद संगीत के लिए एक ही जुनून और समर्पण है। मुझे भरोसा है कि वो लंबा रास्ता तय करेंगे।’
Really touched by the soulful singing & life-stories of these talented youngsters on Indian Idol.
Rahul, Chelsi, Diwas and Sunny come from different parts of the country but have the same passion & dedication for music despite all odds.
I’m sure they’ll go a long way. pic.twitter.com/dNqNd2iGmk— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) October 22, 2019
सचिन के इस ट्वीट पर Sona Mohapatra ने रिप्लाई किया, ‘प्रिय सचिन, क्या आप कई महिलाओं, कुछ नाबालिगों की कहानियां Me Too के बारे में जानते हैं जो पिछले साल ‘इंडियन आइडल’ शो में जज अनु मलिक को लेकर सार्वजनिक रूप से सामने आई थीं, जिसमें उनकी अपनी पूर्व प्रोड्यूसर भी शामिल थीं। क्या उनकी बात किसी को छूती नहीं है?’
Dear Sachin, Are you aware of all the @IndiaMeToo stories of multiple women, some minors who came forward in the public domain about Anu Malik, the judge in this same Indian Idol show last year including their own ex producer? Does their trauma not matter or touch anyone? ??♀️? https://t.co/jE45Tth1po
— ShutUpSona (@sonamohapatra) October 29, 2019
और इसके बाद तो एक दौर ही चल पड़ा, सोना महापात्रा के बाद, नेहा भसीन ने भी गंभीर आरोप लगाए। उसके बाद फिर श्वेता पंडित भी इस विवाद में कूद पड़ी। और पिछले साल बवंडर मचा चूका Me Too कैंपेन फिर से एक बार शुरू हो गया। पिछले साल भी नाना पाटेकर, एम जे अकबर, चेतन भगत, आलोकनाथ जैसे कई बड़े सेलेब्रिटी पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं।
ये सही है फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह के मामले होते रहते हैं, और पीड़िता के इस दर्द को समझा भी जा सकता है, की सवाल हमसे ही क्यों पूछे जाते हैं। वो इसलिए की मामले इतने पुराने बताये जाते हैं की उनमें साक्ष्य जुटाना भी संभव नहीं होता, और बात सिर्फ आरोपों तक ही सिमित ही रह जाती है। मान लिया की जब हादसा हुआ तो सदमे से भी नहीं कह पाती है, लेकिन साल दो साल में तो हिम्मत करके कहना चाहिए था, 15 साल बीस साल का इंतजार क्यों किया जाता है, और इतने समय बाद कहने का क्या मतलब है, जब कुछ करना संभव नहीं रहता।
और किसी के सिर्फ कह देने या आरोप लगा देने से किसी को सजा भी नहीं दिया जा सकता। वरना अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी हो जाएगी, और हर दूसरा आदमी, तीसरे आदमी पर आरोप लगाकर उसे कटघरे में खड़ा कर देगा। और उस आदमी के मानवाधिकार के बारे में सोचो जो बिना कुछ किए समाज में अपराधी के कटघरे में खड़ा होगा। इसलिए जहाँ तक संभव तो उत्पीड़न जैसी घटना के तुरंत बाद ऐसे लोगों को बेनकाब किया जाए। तुरंत न सही तो कम से कम यथाशीघ्र किया जाए। ये फिल्म का रिलीज़ तो है नहीं की आरोप लगाने के लिए एक शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जाए।
इसके साथ ही कानून में भी एक प्रावधान किया जाए की, कितने समय बाद तक के आरोपों को अपराध मान कर उसमें कार्रवाई की जा सकती है, और कितने समय के बाद आरोपों को ख़ारिज कर दिया जाएगा। इससे समाज किसी बेगुनाह को सिर्फ आरोप लगने से अपराधी की नजर से भी नहीं देखेगा। और अगर किसी के साथ सच में अन्याय हुआ है तो उसे न्याय भी मिल पाएगा, और वो खुलकर सामने भी आएंगी।
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