भारत संघ की राजभाषा और लिपि

Image Courtesy : IBN

संविधान के भाग – 17 के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है! भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 344 में राष्ट्रपति को राजभाषा से संबंधित कुछ विषयों में सलाह देने के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान है! राष्ट्रपति ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए 1955 ई० में श्री बी जी खरे की अध्यक्षता में प्रथम राजभाषा आयोग का गठन किया! इस आयोग ने 1956 ई० में अपना प्रतिवेदन दिया!

 

संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार निम्नलिखित भाषाओँ को राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इस प्रकार है – असमिया, बंगला, गुजरती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली, मैथिलि, संथाली, डोगरी, बोडो!

 

राज्य की भाषा :

संविधान के अनुच्छेद 345 के अधीन प्रत्येक राज्य के विधानमंडल को यह अधिकार दिया गया है की वह आठवीं अनुसूची में अंतर्विष्ट भाषाओँ में से किसी एक या अधिक को सरकारी कार्यों के लिए राज्य की सरकारी भाषा के रूप में अंगीकार कर सकता है! किंतु राज्यों के परस्पर संबंधों में संघ तथा राज्यों के परस्पर संबंधों में संघ की राजभाषा को ही प्राधिकृत भाषा माना जाएगा!

 

उच्चतम और उच्च न्यायालयों तथा विधानमंडलों की भाषा :

संविधान में प्रावधान किया गया है की जब तक संसद द्वारा कानून बनाकर अन्यथा प्रावधान न किया जाए, तब तक उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की भाषा अंग्रेजी होगी और संसद तथा राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानून अंग्रेजी में होंगे!

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