भारत में केंद्र राज्य संबंध संघवाद की ओर उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली को कनाडा के संविधान से लिया गया है! भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्य के मध्य विधायी, प्रशासनिक तथा वित्तीय शक्तियों का विभाजन किया गया है, लेकिन न्यायपालिका को विभाजन की परिधि से बाहर रखा गया है! भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केंद्र एवं राज्य की शक्तियों के बंटवारे से संबंधित तीन सूचि दी गई है – (i) संघ सूचि, (ii) राज्य सूचि, (iii) समवर्ती सूचि!
संघ सूचि : संघ सूचि में उन विषयों को शामिल किया गया है, जो राष्ट्रीय महत्त्व के हैं तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार केन्द्रीय विधायिका अर्थात संसद को है! इस सूचि में इस समय कुल 100 (मूलतः 97) विषय हैं! जिनमें प्रमुखतः रक्षा, विदेशी मामले, युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय संधि, अणु शक्ति, सीमा शुल्क, जनगणना, विदेशी ऋण, डाक एवं तार, प्रसारण, टेलीफोन, विदेशी व्यापार, रेल तथा वायु एवं जल परिवहन आदि!
राज्य सूचि : इसमें उन विषयों को शामिल किया गया है, जो स्थानीय महत्त्व के हैं तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार राज्य विधानमंडल को है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों में संसद भी कानून बना सकता है! इस सूचि में शामिल विषयों की संख्या 61 (मूलतः 66) है! जिनमें प्रमुख हैं लोक सेवा, कृषि, वन, कारागार, भू-राजस्व, लोक व्यवस्था, पुलिस, लोक स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, क्रय, विक्रय एवं सिंचाई आदि!
समवर्ती सूचि : इसमें शामिल विषयों पर संसद तथा राज्य विधानमंडल दोनों द्वारा कानून बनाया जाता है! और यदि दोनों कानूनों में विरोध हो तो संसद द्वारा निर्मित कानून लागु होगा! इसमें इस समय 52 विषय (मूलतः 47) है! उनमें प्रमुख हैं – राष्ट्रीय जलमार्ग, परिवार नियोजन, जनसँख्या नियंत्रण, समाचार पत्र, कारखाना, बाट तथा माप, जानवर तथा पक्षियों की सुरक्षा, शिक्षा, आर्थिक तथा सामाजिक योजना!
अवशिष्ट सूचि : जिन विषयों को संघ सूचि, राज्य सूचि और समवर्ती सूचि में नहीं शामिल किया गया है, उन पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है!
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राज्य सूचि के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति : संविधान के अनुच्छेद 249 में यह प्रावधान किया गया है की यदि राज्यसभा अपने उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से यह पारित कर दे की राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर संसद राज्य सूचि के विषयों पर कानून बनाए, तो संसद को राज्य सूचि में वर्णित विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है! संसद द्वारा इस प्रकार बनाए गए कानून एक वर्ष के लिए प्रवर्तनीय होता है, लेकिन राज्यसभा द्वारा पारित कर इसे बार बार कई वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है! राज्यों की सहमति से भी संसद राज्य सूचि पर कानून बना सकता है! राष्ट्रीय आपात एवं राष्ट्रपति शासन के समय भी संसद को राज्य सूचि पर कानून बनाने का अधिकार होता है!
संघ के प्रमुख राजस्व के स्रोत हैं : निगम कर, सीमा शुल्क, निर्यात शुल्क, कृषि भूमि को छोड़कर अन्य सम्पति पर सम्पदा शुल्क, विदेशी ऋण, रेल, रिजर्व बैंक तथा शेयर बाजार!
राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोत हैं : व्यक्ति कर, कृषि, भूमि पर कर, सम्पदा शुल्क, भूमि एवं भवनों पर कर, पशुओं तथा नौकायान पर कर, विक्रय कर, वाहनों पर चुंगी!
केंद्र एवं राज्यों के मध्य विवाद को सुलझाने के लिए मुख्यतः चार आयोग गठित किए गए, जो इस प्रकार हैं – प्रशासनिक सुधार आयोग, राजमन्नार आयोग, भगवान सहाय समिति एवं सरकारिया आयोग!
इसके अलावे केंद्र और बिच समन्वय और समग्र विकास के लिए अंतर्राज्य परिषद्, योजना आयोग (अब नीति आयोग), राष्ट्रिय विकास परिषद् आदि की स्थापना की गई है!
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