संविधान के भाग -6 में राज्य शासन के लिए प्रावधान किया गया है! राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है, वह प्रत्यक्ष रूप से अथवा अधीनस्थ अधिकारीयों के माध्यम से इसका उपयोग करता है! प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होता है, लेकिन एक ही राज्यपाल एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है!
राज्यपाल की योग्यता : राज्यपाल पद पर नियुक्ति किये जाने वाले व्यक्ति में निम्न योग्यताएं होना अनिवार्य है – (i) वह भारत का नागरिक हो (ii) वह 35 वर्ष की उम्र पूरा कर चूका हो (iii) वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो!
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पाँच वर्षों के लिए किया जाता है, परंतु यह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है! राज्यपाल को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं! राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग तथा कर्तव्यों के पालन के लिए किसी न्यायालय के प्रति उतरदायी नहीं है! राज्यपाल के पदावधि के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में किसी प्रकार की आपराधिक कार्रवाई नहीं प्रारंभ की जा सकती है! जब वह पद पर हो तब उसकी गिरफ़्तारी का आदेश किसी न्यायालय द्वारा जारी नहीं किया जा सकता है! राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पूर्व या पश्चात उसके द्वारा किए गए कार्य के संबंध में कोई सिविल कार्रवाई करने से पहले उसे दो माह पूर्व सूचना देनी पड़ती है!
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राज्यपाल की शक्तियों तथा कार्य :
(i) राज्य के समस्त कार्यपालिका कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं!
(ii) राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को नियुक्त करता है, तथा उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है!
(iii) राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारीयों, जैसे महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति करता है, तथा राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है!
(iv) राज्यपाल का अधिकार है की वह राज्य के प्रशासन के संबंध में मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करे!
(v) जब राज्य का प्रशासन संवैधानिक तंत्र के अनुसार न चलाया जा रहा हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करता है!
(vi) राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य का प्रशासन चलाता है!
(vii) राज्यपाल राज्य के विश्विद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा उपकुलपतियों को भी नियुक्त करता है!
विधायी अधिकार :
(i) राज्यपाल विधानमंडल का अभिन्न अंग होता है!
(ii) राज्यपाल विधानमंडल का सत्रावसान और सत्राह्वान करता है तथा उसका विघटन करता है! राज्यपाल विधानसभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है!
(iii) वह राज्य विधान परिषद् की कुल सदस्यों का 1/6 भाग सदस्यों को नियुक्त करता है, जिनका संबंध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज सेवा, सहकारी आंदोलन आदि से रहता है!
(iv) राज्य विधानसभा के किसी सदस्य पर अयोग्यता का प्रश्न उठता है, तो अयोग्यता संबंधी विवाद का निर्धारण राज्यपाल चुनाव आयोग से परामर्श करके आता है!
(v) राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है!
(vi) यदि विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधि नहीं प्राप्त है, तो राज्यपाल उस समुदाय के एक व्यक्ति को विधानसभा का सदस्य मनोनीत कर सकता है! (अनुच्छेद 333)
(vii) जब विधान मंडल का सत्र नहीं चल रहा हो और राज्यपाल को ऐसा लगे की तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसे वही स्थान प्राप्त है, जो विधान मंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम का है! ऐसे अध्यादेश 6 सप्ताह के भीतर विधान मंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है! यदि विधानमंडल 6 सप्ताह के भीतर उसे अपनी स्वीकृति नहीं देता है, तो उस अध्यादेश की वैधता समाप्त हो जाती है!
(viii) कुछ विशिष्ट प्रकार के विधेयकों को राज्यपाल राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजता है!
वित्तीय अधिकार :
(i) राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष में वित्तमंत्री को विधानमंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहता है!
(ii) विधानसभा में धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जाता है!
(iii) ऐसा कोई विधेयक जो राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता हो, उस समय तक विधान मंडल द्वारा पारित नहीं किया जा सकता जब तक राज्यपाल इसकी संस्तुति न कर दे!
(iv) राज्यपाल की संस्तुति के बिना अनुदान की किसी भी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीं रखा जा सकता!
(v) राज्यपाल धन विधेयक के अतिरिक्त किसी विधेयक को पुनः विचार के लिए राज्य विधान मंडल के पास भेज सकता है! परंतु राज्य विधान मंडल द्वारा इसे दुबारा पारित किये जाने पर वह उसपर अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है!
न्यायिक अधिकार :
राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्ध दोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति प्राप्त है!
राज्यपाल की स्थिति :
यदि हम राज्यपाल के उपर्युक्त अधिकारों पर दृष्टिपात करें तो ऐसा लगता है की राज्यपाल एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है! किंतु वास्तविकता इससे सर्वथा भिन्न है! हमने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है, जिसमें मंत्रिपरिषद विधान मंडल के प्रति उत्तरदायी होती है, अतः वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी होती है, अतः वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद को प्राप्त होती है, न की राज्यपाल को! राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है किंतु असाधारण स्थितियों में उसे इच्छानुसार कार्य करने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं!
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विधानसभा : विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है, किंतु विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल को यह अधिकार है की वह इससे पूर्व भी उसको विघटित कर सकता है! विधानसभा के सत्रावसान के आदेश राज्यपाल के आदेश द्वारा दिए जाते हैं! विधानसभा में निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है!
विधानसभा के अधिकार एवं कार्य :
विधि निर्माण : इसे राज्य सूचि से संबधित विषयों पर विधि निर्माण का अनन्य अधिकार प्राप्त है! समवर्ती सूचि से सम्बद्ध विषयों पाए संसद की तरह राज्य विधान मंडल भी विधि निर्माण कर सकता है, किंतु यदि दोनों द्वारा निर्मित विधियों में परस्पर विरोध की सीमा तक संसदीय विधि वरणीय है!
वित्तीय विषयों से संबंधित प्रक्रिया : राज्य विधान मंडल राज्य सरकार की वित्तीय अवस्था को पूर्णतया नियंत्रित करती है! प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में विधान मंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण अथवा बजट प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें शासन की आय और व्यय का विवरण रहता है! बजट वित्त मंत्री के द्वारा रखा जाता है!
कार्यपालिका पर नियंत्रण : मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है! जब कभी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो समूचा मंत्री परिषद् को त्यागपत्र देना पड़ता है!
संवैधानिक संशोधन : संघीय स्वरुप को प्रभावित करने वाला कोई संविधान संशोधन विधेयक यदि संसद के दोनों सदनों के द्वारा पारित हो जाता है, तो आधे से अधिक राज्यों के विधान मंडलों द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है!
निर्वाचन संबंधी अधिकार : राष्ट्रपति के निर्वाचन में जितना मताधिकार संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को प्राप्त है, उतना ही राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को प्राप्त है!
मुख्यमंत्री :
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है! साधारणतः वैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता होता है! मुख्यमंत्री ही शासन का प्रमुख प्रवक्ता है और मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है! मंत्रिपरिषद के निर्णयों को मुख्यमंत्री ही राज्यपाल तक पहुंचता है! जब कभी राज्यपाल कोई बात मंत्रिपरिषद तक पहुँचाना चाहता है, तो वह मुख्यमंत्री के द्वारा ही यह कार्य करता है! राज्यपाल के सारे अधिकारों का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है!
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