प्राक्कलन समिति : इस समिति में लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं! इसमें राज्यसभा के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है! समिति के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक वर्ष अनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है! इसके सदस्य का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है! प्रत्येक वर्ष मई में समिति का कार्यकाल प्रारंभ होता है तथा अगले वर्ष 30 अप्रैल को समाप्त हो जाता है! समिति का अध्यक्ष लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होता है, किंतु यदि लोकसभा का उपाध्यक्ष इस समिति में चुना जाता है तो फिर वही समिति का अध्यक्ष भी चुना जाता है! यह समिति सरकारी खर्च में कैसे कमी लाई जाए, संगठन में कैसे कुशलता लाई जाए, तथा प्रशासन में कैसे सुधार किए जाएं आदि विषयों पर रिपोर्ट देती है! प्राक्कलन समिति के प्रतिवेदन पर सदन में बहस नहीं होती है, परंतु यह समिति अपना कार्य वर्ष भर करती है और अपना दृष्टिकोण सदन के समक्ष रखती है!
लोक लेखा समिति : प्राक्कलन समिति की जुड़वां बहन के रूप में ज्ञात इस समिति में 22 सदस्य होते हैं जिसमें 15 सदस्य लोकसभा द्वारा तथा 7 सदस्य राज्यसभा द्वारा एक वर्ष के लिए निर्वाचित किए जाते हैं! इसे लघु लोकसभा भी कहते हैं! समिति के सदस्यों का संसद द्वारा प्रतिवर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली की सहायता से चयन किया जाता है! इस समिति के अध्यक्ष का मनोनयन लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है तथा लोकसभा सचिवालय इस समिति के कार्यालय की भूमिका अदा करता है! 1969 में प्रथम बार श्री मीनू मसानी विरोधी दल के नेता बने, तो उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी मनोनीत कर लिया गया और उसी समय से विरोधी दल के सदस्यों में से किसी सदस्य को इस समिति के अध्यक्ष मनोनीत करने की परंपरा की शुरुआत हुई! लोक लेखा समिति में राज्यसभा के सदस्यों को सह सदस्य माना जाता है तथा उन्हें मत देने का अधिकार नहीं प्राप्त है!
लोक लेखा समिति के कार्य :
- यह समिति भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा दिया गया लेखा परिक्षण संबंधी प्रतिवेदनों की जांच करती है!
- भारत सरकार के व्यय के लिए सदन द्वारा प्रदान की गई राशियों का विनियोग दर्शाने वाली लेखाओं की जांच करना!
- संसद द्वारा प्रदान की गई धनराशी के अतिरिक्त धनराशी को व्यय किया गया हो तो समिति उन परिस्थितियों की जाँच करती है! जिसके कारण अतिरिक्त व्यय करना पड़ा!
- समिति राष्ट्रपति के वित्तीय मामलों के संचालन में अप व्यय, भ्रष्टाचार, अकुशलता में कमी के किसी प्रमाण को खोज सकती है!
- लोक लेखा समिति अपना प्रतिवेदन लोक सभा को देती है जिससे की जो अनियमितताएं उसके ध्यान में आई है उन पर संसद में बहस हो और उन पर प्रभावी कदम उठाये जा सके!
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सरकारी उपक्रमों की समिति : इस समिति के 22 सदस्य होते हैं, जिनमें से 15 लोकसभा तथा 7 राज्यसभा द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं! समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नामजद किया जाता है! इस समिति का कार्य है, सरकारी उपक्रमों के प्रतिवेदनों और लेखाओं की तथा उन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदनों की जांच करना! तथा ऐसे विषयों की जाँच करना जो सदन या अध्यक्ष द्वारा निर्दिष्ट किये जाएं!
कार्य मंत्रणा समिति : लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति में अध्यक्ष सहित 15 सदस्य होते हैं! लोकसभा का अध्यक्ष इसका पदेन अध्यक्ष होता है! राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति में इसकी सभा का सभापति इसका पदेन सभापति होता है!
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्प संबंधी समिति : इसका गठन लोकसभा में किया जाता है! इस समिति में 15 सदस्य होते हैं! लोकसभा का उपाध्यक्ष इस समिति का अध्यक्ष होता है!
नियम समिति : लोकसभा की नियम समिति में लोकसभा अध्यक्ष सहित 15 सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा की नियम समिति में सभापति एवं उपसभापति सहित 16 सदस्य होते हैं! लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति अपने अपने सदन की समितियों के पदेन अध्यक्ष होते हैं!
अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों की कल्याण संबंधी समिति : इसमें 30 सदस्य शामिल किये जाते हैं! इसमें 20 लोकसभा तथा 10 राज्यसभा के सदस्य होते हैं!
ग्रंथालय समिति : इसमें 9 सदस्य होते हैं, लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत 6 सदस्य तथा राज्यसभा के सभापति द्वारा मनोनीत 3 सदस्य शामिल किये जाते हैं! इस समिति का गठन प्रत्येक वर्ष किया जाता है!
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