संविधान के भाग – 15 के अनुच्छेद 324 से 329 में निर्वाचन से संबंधित उपबंध दिया गया है! निर्वाचन आयोग का गठन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्तों से किया जाता है, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है! मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो तब तक होता है! पहले चुनाव आयुक्त एक सदस्यीय आयोग था, बाद में इसे तीन सदस्यीय आयोग बना दिया गया!
निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य :
(i) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन (ii) मतदाता सूचि तैयार करवाना (iii) विभिन्न राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना (iv) राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिह्न प्रदान करना (v) चुनाव करवाना (vi) राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करवाना
निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक प्रावधान :
(i) निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था अर्थात इसका निर्माण संविधान ने किया है!
(ii) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है!
(iii) मुख्य चुनाव आयुक्त महाभियोग जैसी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है!
(iv) मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समान ही है!
(v) नियुक्ति के पश्चात मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है!
राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए आवश्यक शर्तें :
(i) लोकसभा आम चुनाव अथवा राज्य विधानसभा चुनाव में किन्हीं चार अथवा अधिक राज्यों में कुछ डाले गए वैध मतों का छह प्रतिशत प्राप्त करना जरुरी होगा!
(ii) इसके अलावे इसे किसी एक राज्य अथवा राज्यों से विधानसभा की कम से कम चार सीटें जितनी होगी!
(iii) लोकसभा में दो प्रतिशत सीटें हों और ये कम से कम तीन विभिन्न राज्यों में हासिल की गई हों!
परिसीमन आयोग :
संविधान में परिसीमन आयोग के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है! अनुच्छेद 82 में प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर लोकसभा एवं राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों के विभाजन एवं पुनः समायोजन का कार्य संसद द्वारा विहित अधिकारी द्वारा किये जाने का प्रावधान है! परिसीमन आयोग में देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित सभी राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के निर्वाचन आयुक्त इस आयोग के सदस्य हैं!
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