जदयू भाजपा में बराबर सीटों पर सहमती बनी, बाकि सहयोगियों की प्रतिक्रिया बाकि

बिहार में Loksabha Chunav 2019 के लिए बीजेपी और जेडीयू में सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है! दोनों ही पार्टियां आने वाले चुनाव में बराबर की सीटों पर चुनाव लड़ेंगी! शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने स्वंय मीडिया के सामने इसका ऐलान किया!

 

बीजेपी अध्यक्ष Amit Shah ने कहा, JDU और BJP दोनों ही राज्य में समान सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकि जो भी हमारे सहयोगी दल हैं, उन्हें भी सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी! NDA के घटक दलों जैसे RLSP और LJP की सीटें कम होने की सवाल पर अमित शाह ने कहा, रामविलास जी और उपेंद्र कुशवाह जी हमारे साथ हैं, गठबंधन में नए साथी जुड़ने के बाद सभी दलों की सीटें कम होगी! सीएम Nitish Kumar ने कहा, सीटों के बंटवारे के साथ- साथ सारी बातेें हो चुकी है, दो तीन दिन में संख्या का भी ऐलान कर दिया जाएगा!

 

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. साल 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी से अलग चुनाव लड़ी थी और बीजेपी राज्य में एनडीए का सबसे बड़ा घटक दल रहा था! अकेले बीजेपी के खाते में 22 सीटें गईं थीं! वहीं, आरजेडी 4, लोजपा 6, आरएलएसपी 3, जेडीयू 2, कांग्रेस 2 और एनसीपी को एक सीट जीतने में सफलता मिली थी! अगर हम एनडीए की बात करें तो 31 सीटें जीतने में सफल रही थी! एनडीए में बीजेपी के साथ उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था! पासवान ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और रालोसपा ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था! यानि 30 सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे! लेकिन इस बार नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद से रालोसपा और एलजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी!

 

जदयू से तो सीटों पर बात तय हो गयी है लेकिन अभी तक इस पर अन्य सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है की क्या वो कम सीटों के साथ भी एनडीए में बने रहना पसंद करेंगे या फिर अपना कोई अलग रास्ता चुनेंगे, क्योंकि कुछ दिन पहले ही बिहार में LJP के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत बयान दिया था की हमें सात से कम सीटें मंजूर नहीं है, हम पहले भी सात सीटों पर चुनाव लड़े थे और इस बार भी सात सीटों की मांग करेंगे, पार्टी की लोकप्रियता पहले से काफी बढ़ी है, और इस कारण लोजपा को Loksabha Election 2019 में झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी सीटें चाहिए!

 

उधर उपेन्द्र कुशवाहा भी बिच बिच में विद्रोही स्वर दिखाते रहते हैं! कभी तेजस्वी के गुण गाते हैं तो कभी मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं! क्या वो कम सीटों के साथ गठबंधन में बने रहना पसंद करेंगे! वैसे उपेन्द्र कुशवाहा की नितीश कुमार से बहुत पुरानी दुश्मनी है! पहले वो नितीश कुमार की पार्टी में ही थे और उनसे खटपट होने के बाद अपनी अलग पार्टी बनाई थी! फिर नितीश के NDA में वापस आने के बाद से ही उनका स्वर विद्रोही हो रहा है!

 

हालाँकि इस बात में कोई भी जमीनी सच्चाई नहीं है की LJP की लोकप्रियता बढ़ी या घटी है, उसके कुछ अपने खास वोटर्स हैं और पार्टी बस उसी वर्ग के वोटरों तक सिमित है! और रही बात उपेन्द्र कुशवाहा की तो उनके पास अपना कोई बड़ा जनाधार नहीं है और बीजेपी के वोटों के सहारे ही चुनाव जीतें है! इसलिए विद्रोह की ज्यादा सम्भावना तो नहीं लेकिन प्रेशर politics के तहत कुछ खींचातानी वाले बयान जरुर आ सकते हैं!

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