उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath प्रयागराज पहुंचे. जहाँ सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ-योगी महासभा द्वारा प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के अलावा, श्री कल्याण सेवा आश्रम के श्री कल्याणदास महाराज और श्रृंगेरी शंकराचार्य भारती तीर्थ जी महाराज से मुलाकात की। सीएम योगी ने उन्हें फल और चादर भेंट किया और उनका हालचाल लिया। अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ-योगी महासभा द्वारा प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी, कहा- दुनिया में सनातन धर्म तलवार के बल पर आगे नहीं बढ़ा बल्कि अपने सद्भाव के उद्देश्य के माध्यम से पहुंची है.
सीएम योगी ने कहा कि इस महाकुंभ के आयोजन के साथ हमे साक्षी बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। सभी संतों के सानिध्य में मैं जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज से मंच पर यही बात कर रहा था, कि जब पौष पूर्णिमा के दिन और मकर संक्रांति के दिन कोटि-कोटि श्रद्धालुओं को मां गंगा, यमुना और सरस्वती की पावन त्रिवेणी के संगम में डुबकी लगाकर के अभिभूत हो रहे थे और वो जो पॉजिटिव कमेंट कर रहे थे उसने पूरी दुनिया की आंखों को खोलने का काम किया है।
सीएम योगी ने कहा कि कुंभ क्या होता है? कुंभ का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व क्या है? इसका जवाब श्रद्धालुओं के वक्तव्य दे रहे हैं। ये बात बताती है, जिसके बारे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं, की यह सदी भारत की सदी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की सदी का मतलब हर एक क्षेत्र में भारत को विकास की उन बुलंदियों को छूना है। हर एक क्षेत्र में कोई देश ऊंचाई छुएगा तब, जब उस क्षेत्र से जुड़े हुए प्रतिनिधि अपने दायित्व का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करेंगे। जो राजनितिक क्षेत्र में है वो राजनितिक क्षेत्र में अपना कार्य कर रहे हैं। सेना सीमा पर देश की रक्षा का काम कर रही है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हर एक तबका अपना-अपना कार्य कर रहा है। धार्मिक जगत से जुड़ हुए हमारे पूज्य संतों का भी दायित्व यही बनता है और यही वो कर रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि भारत की सनातन धर्म की संस्कृति दुनिया के अंदर तलवार के बल पर नहीं, बल्कि अपने सद्भाव के उद्देश्य के माध्यम से पहुंची है। दक्षिण पूर्व एशिया के तमाम देशों में आप जायेंगे जहां भी सनातन धर्म पंहुचा है, भारत की सनातन संस्कृति पहुंची है, वहां पर उन्होंने अपने कार्य और व्यवहार से, वहां पर भारत के मूल्यों और आदर्शों ने वहां से समुदाय को अपनी ओर आकर्षित किया है। सनातन धर्म के मूल्यों के साथ उन्हें जोड़ने का काम किया है। आज भी आप दुनिया के अंदर देख सकते हैं। दुनिया में तमाम ऐसे देश हैं जो हिन्दू नहीं होने का बावजूद भी राम, कृष्ण, बुद्ध की परंपरा को स्वीकार किया है। वो गौरव के साथ अपने आप को इससे जुड़ने में गौरवन्वित महसूस करते हैं।